बैठना और बोलना सीखें।

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बैठना और बोलना सीखें बैठना और बोलना एक कला है। यदि विद्यार्थी ने इस कला को जीवन के प्रारंभिक वर्षों में ही सीख लिया तो उसका जीवन सफल हो जाएगा।  बैठने और बोलने के तरीके से ही समझा जा सकता है कि मन में सुकून है या बेसब्री। कबीर कहते हैं मीठी वाणी बोलिए मन का आपा खोयऔरों को शीतल करें आपहुं शीतल होय।।तू बैठना और बोलना सीख जा इंसान बन जाएगा समझ ले एक बात तू जिंदगी में तेरे बैठने और बोलने के सलीके से तेरे खानदान की पहचान होगी।।खेद है हम सब कुछ करते हैं परंतु बैठने और बोलने की कला को नहीं सीखते।देखा गया