उजाले की ओर –संस्मरण

  • 198
  • 1

============ स्नेहिल नमस्कार मित्रों !   हम सब जीवन के धूसर रास्तों से परिचित हैं" जीवन कभी भी सीधी सपाट रास्ते पर नहीं चलता,। उसका ऊपर-नीचे होना ही जीवन की स्वाभाविक गति है । कभी हम टीलों पर चढ़ते हैं तो कभी खाइयों को पार करते हैं । जीवन में सुख और दुख दोनों ही हमारी यात्रा का महत्वपूर्ण हिस्सा हैं। ऐसा कोई इंसान नहीं है जिसने केवल सुख ही देखा हो या केवल दुख ही देखा हो। उसके हिस्से केवल सफ़लता आई हो अथवा केवल असफलता! हम सबके जीवन में संघर्ष और परेशानियाँ जीवन का वह अहं भाग हैं