नारी का मूल्य और समाज का दृष्टिकोण

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हाल ही में मेरे मन में एक विचित्र विचार आया: प्रजातियों और समाजों में अक्सर नर, मादा के पीछे भागते हैं। इंसानों से लेकर जानवरों तक, यह प्रवृत्ति लगभग सार्वभौमिक लगती है। इतिहास इस बात से भरा पड़ा है कि महिलाओं को लेकर युद्ध लड़े गए — ट्रॉय की हेलेन, रामायण में सीता का अपहरण, या आधुनिक दौर के संघर्ष जो पितृसत्तात्मक नियंत्रण में जड़ें रखते हैं। लेकिन जो बात सबसे चौंकाने वाली है, वो ये है कि समाज अक्सर महिलाओं की तुलना हीरों से करता है — उन्हें "अनमोल" बताता है, लेकिन साथ ही उनसे वो ताकत भी छीन