सञ्जय उवाचदृष्ट्वा तु पाण्डवानीकं व्यूढं दुर्योधनस्तदा।आचार्यमुपसङ्गम्य राजा वचनमब्रवीत्॥1. सरल हिंदी अनुवाद:संजय ने कहा: उस समय दुर्योधन ने पांडवों की सेना को युद्ध के लिए व्यवस्थित देखकर अपने गुरु द्रोणाचार्य के पास जाकर ये बात कही।सार: इस श्लोक में संजय धृतराष्ट्र को बताते हैं कि दुर्योधन ने पांडवों की सेना को युद्ध के लिए अच्छी तरह तैयार और संगठित देखा। इसके बाद वह अपने गुरु द्रोणाचार्य के पास गया और उनसे बात की। यह श्लोक हमें सिखाता है कि जिंदगी में किसी भी मुश्किल स्थिति का सामना करने से पहले हमें उसका अच्छे से आकलन करना चाहिए। दुर्योधन ने पांडवों की