"सौंदर्य एक अभिशाप!"(भाग-3)विक्रम नगर की राजकुमारी चित्रा को अपने रूप पर गर्व है। उसकी सहेलियाँ लता और सुवर्णा उसे समझाती हैं कि अपने रूप पर गर्व करना अच्छा नहीं है। आज उसका रूप है, कल समय के साथ उसका रूप कम होता जाता है।समय चलते वृद्धावस्था आ जाती है और सौंदर्य कम हो जाता है।अभिमान रखना अच्छी बात नहीं है।यह सुनकर राजकुमारी चित्रा अपनी दासियों के साथ बगीचे से चली जाती है। सुवर्णा भी चली जाती है।लता अकेली रह जाती है।लता सोचती है कि मैंने अच्छी सलाह दी थी फिर भी!लता धीरे से बुदबुदाती है।दिल अच्छा होना चाहिए चाहें सुंदर हो