वीरा हमारी बहादुर मुखिया - 21

  • 267
  • 84

इशिता सोचते हुए गॉव पहुंच चुकी थी... इशिता को देख सभी काफ़ी ख़ुश हो गए है.. मानो जैसे किसी बेज़ान चीज में वापस से जान समा गई हो... बरखा तुरंत इशिता के पास पहुंचकर उसे सहारे से पकड़के वही चौपाल में बैठा देती है और जल्दी से चिल्लाते हुए कहती है.... " काकी , जल्दी बाहर आजाइये वीरा आ चुकी है... " वीरा का नाम सुनते हीं निराली घर से दौड़ी हुई आती है और इशिता को देख हाथों से उसकी नज़र उतारकर उसे गले लगाते हुए कहती है.... " अच्छा हुआ तू ठीक है.. हम सब काफ़ी परेशान हो