पायल की खामोशी

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पायल की खामोशी (एक बेटी की चुप्पी और पिता की जिद ने कैसे बदल दी ज़िंदगी की तस्वीर)   "बाबा, क्या सच में लड़कियाँ सपना नहीं देख सकतीं?" पायल की ये मासूम सी बात उस दिन रामनाथ चौधरी के दिल में तीर की तरह चुभी थी। रामनाथ, एक साधारण स्कूल का चपरासी, उम्र लगभग 50 के आसपास। तन पर पुराना कुर्ता, और पाँव में फटी हुई चप्पल, लेकिन दिल में अपनी बेटी पायल के लिए सपनों का महल। वो पहला झटका... सोमवार की सुबह थी। पायल ने स्कूल से लौटते ही अपनी किताबें एक तरफ रख दीं