रुह... - भाग 3

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                                         ३.रूम में कदम रखते ही अबीर सीधे जाकर बेड पर ढेर हो जाता है। थकान तो थी ही, लेकिन असली थकान उसके मन में उठते विचारों की थी। कुछ पल यूं ही छत को घूरता रहा, फिर अचानक जैसे कुछ याद आ गया हो, वैसे ही झटके से उठ बैठता है।धीरे-धीरे वह स्टडी टेबल की ओर बढ़ा। चेयर पर बैठकर वह अपनी डायरी खोल कलम हाथ में थाम लेता है। इरादा तो था कुछ शानदार लिखने का, एक नई शुरुआत