रात की आख़िरी ट्रेन

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“अरे यार साला, एक तो ये काम भी आज ही आना था।”काम ख़त्म करके चिड़चिड़े मन से अनन्या अपने आप को कोसा।समय था रात के 12, अगली तारीख़ लग चुकी थी और अनन्या जैसे-तैसे अपना लैपटॉप बंद करके अपने ऑफिस से निकली।ओला-ऊबर कुछ भी न मिलने से वह जैसे-तैसे स्ट्रीट लाइट्स में नज़दीकी लोकल रेलवे स्टेशन पर गई।करीब 12:30 पर वह स्टेशन पर पहुँची जहाँ,धीमी लाइट्स के साथ कुत्तों का शोर उसे साफ़ सुनाई दे रहा था।कुछ लाइट्स बंद थीं लेकिन क़िस्मत से वहाँ के मीटर में जलने वाली लाइट अनन्या को दिखी।मुंबई CST 12:45मीटर में आख़िरी ट्रेन देख अनन्या