"तकदीर लिखने का हक अगर बहन को होता तो दुनिया का कोई भी भाई आज उदास ना होता।" — यह पंक्ति केवल शब्द नहीं, एक बहन के दिल की पुकार है, उसकी असह helplessता की पराकाष्ठा है, जब वह अपने भाई को टूटते हुए देखती है और चाहकर भी उसके लिए कुछ कर नहीं पाती।यह कहानी है रागिनी और उसके छोटे भाई अभय की, जिनका रिश्ता शब्दों से नहीं भावनाओं से बंधा था।रागिनी और अभय उत्तर प्रदेश के एक छोटे से गाँव ‘छतरपुर’ में रहते थे। उनका परिवार साधारण था — पिता रामप्रसाद जी स्कूल मास्टर, माँ गृहिणी। रागिनी अभय