२.ड्रॉइंग रूम की खामोशी अचानक मि. अभिमन्यु की कड़कती आवाज़ से टूटी।"अबीर!"उनकी आवाज़ इस बार बेहद सख्त थी, जैसे बरसों से दबे हुए शब्द एक झटके में बाहर निकल आए हों।"तुम कब तक इस तरह बेफिक्री से घूमते रहोगे? ज़िन्दगी कोई मजाक नहीं है, अब वक्त आ गया है जिम्मेदारियां उठाने का। कल से तुम मेरे साथ ऑफिस आओगे, और काम सीखोगे। अब मुझे तुम्हारा कोई बहाना नहीं सुनना!"अबीर को जैसे किसी ने ठिठका दिया हो।वह कुछ क्षणों तक चुप खड़ा रहा,