१.अबीर… नाम जितना सीधा, स्वभाव उतना ही उल्टा। उसे ना कल की चिंता थी, ना आज की कद्र। जिंदगी उसके लिए एक खुला मैदान थी जिसमें उसे बस आज़ादी से दौड़ते जाना था। बिना किसी मंज़िल के। हर सुबह की शुरुआत उसके बेपरवाह ठहाकों से होती और हर शाम मि. अभिमन्यु की नाराज़गी से खत्म। वे बार-बार समझाते, टोकते, राह दिखाने की कोशिश करते, लेकिन अबीर तो जैसे हवा था, जिसे कोई बांध नहीं सकता।उधर एक दूसरा संसार था... पायल का।पायल… एक