चंदन के टीके पर सिंदूर की छाँह - 1

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नीलम कुलश्रेष्ठ एपीसोड -1 ‘टन..न...न...न...न’ रोज की तरह सुबह 4 बजे उन्हें लगा कि इस कर्कश ध्वनि से उन के कान के पर्दे फट जायेंगे । लोग तो अपने को भाग्यवान समझते हैं यदि सुबह सुबह उन की आंख पूजा की घंटी से खुले । लेकिन उन्हें पूजा, मंदिर, मूर्ति पूजा की घंटी के नाम से ही चिढ़ होने लगती थी । कभी कभी उन्हें लगता था यदि भगवान का नाम न होता तो कितना अच्छा होता । न लोग भगवान के नाम पर मंदिर बनाते, न पूजा करते, न घंटी टनटनाते और न ही उन का अपना जीवन उजाड़