एहसास - भाग 3

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-----------------------वो अपनी खिड़की पर बैठी थी । बड़ा अलग सा एहसास था ये । उसने कभी सोचा भी नहीं था कि इस तरह वो एक मां होने के एहसास को महसूस करेंगी । उसने अपने पेट पर हाथ रखा और आंखें बंध कर बोली " मैं चाहती हूं कि तुम आओ ! पर ...बच्चे ये दुनिया तुम्हें नोच खाएगी और साथ ही मुझे भी ! मुझे कोई कुछ कहे ..चलेगा ! मगर किसी ने तुम्हें गलत बोला तो मैं बर्दाश्त नहीं कर पाउंगी । ऊपर से मैं तुम्हें वो जिंदगी भी नहीं दे पाउंगी जो तुम डिर्जव करते हो ।