सड़क के तीन-चार किलोमीटर दूर एक गाँव में था एक प्राथमिक विद्यालय।प्राथमिक विद्यालय चंदनपुर।दीवारें पक्की नहीं, छत से अक्सर मानसून में पानी टपकता था लेकिन उन चार कमरों में कई सालों से उम्मीदें खिलती थीं।सत्र आरंभ में अविनाश सर की नियुक्ति पहली बार उस स्कूल में हुई थी।शहर से आए थे, आधुनिक सोच रखने वाले और कुछ बदलने की चाह की भावना वो हमेशा अपने मन में लिए रखते थे।नियुक्ति के पहले दिन केवल एक चपरासी के साथ वो ड्यूटी ग्रहण करते हैं क्योंकि पहले वाले एकमात्र सर का तबादला अब दूसरी जगह हो चुका था।उन्होंने विद्यालय का निरीक्षण किया