चंद्रवंशी - अध्याय 2 - अंक 2.2

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सुबह आठ बजे के आसपास जिद की आंखें खुल गईं। उसने एक भयानक सपना देखा था। उसके माथे पर चिंता की रेखाएं उभर आई थीं। उसका चेहरा पानी-पानी हो गया था और वह अपने मुंह में जमा थूक को बाहर निकालने के लिए बिस्तर से उठने के लिए अपनी चादर हटाकर नीचे पैर रखकर खड़ी हुई। जिद ने वही रात वाले कपड़े पहने हुए थे। वह वॉशरूम में जाकर फ्रेश हो गई और माही को उठाते हुए बोली –  “माही उठ... जाग जा... तूने मुझसे कहा था कि कल हम चलेंगे और मेरी मम्मी को तार भेजेंगे।  जाग जल्दी से।”  जिद को जैसे