छाया आज बहुत खुश थी। वैलेंटाइन डे जो था। सुबह से ही उसने इस दिन के लिए खुद को तैयार किया था। लाल शर्ट, जींस और खुले बालों में वह आईने में खुद को देखकर मुस्कुरा रही थी। एक हाथ में गुलाब था, और दिल में एक सपना — शायद आज वो पल आ ही जाए, जिसका बरसों से इंतज़ार था।कॉलेज की दहलीज़ पार करते हुए उसकी आंखें किसी को तलाश रही थीं। तभी पीछे से एक जानी-पहचानी आवाज़ आई — "भौं!"छाया पलटी तो सामने काशी थी, उसकी सबसे प्यारी दोस्त। काशी आंख मारते हुए बोली, “किस ढूंढ रही हो,