**दिल की बात, दुनिया से दूर ( रोज़ मर्रा की ज़िंदगी ) हर दिन की सच्चाई — जैसी है, वैसी लेखक: कुमार रौशन ईमेल: raushankumar98867@gmail.com raushankumar98867@gmail.com Chapter 1: नींद से पहले वाली सोच "रात की खामोशी में जो आवाज़ें गूंजती हैं, वो दिन की हलचल में दब जाती हैं…" Chapter 2: सुबह की मजबूरी सुबह अलार्म से नहीं, ज़िम्मेदारी से होती है। पेट भरने के चक्कर में ख्वाब भूखे रह जाते हैं। उठते हैं, तैयार