परछाईं की तरह

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पिंजौर के एक छोटे से कस्बे में रहने वाला निखिल एक शांत, कम बोलने वाला और सबसे अलग-थलग रहने वाला लड़का था। ना उसके पास दोस्तों की भीड़ थी, ना ही सोशल मीडिया पर फॉलोअर्स की कतार। लोग उसे देख कर अक्सर कहते, "इसमें कोई बात नहीं है, बस किताबों में घुसा रहता है। ज़िंदगी भर ऐसे ही रहेगा।"लेकिन निखिल के भीतर कुछ ऐसा था जो किसी को दिखाई नहीं देता था—एक आग, एक सपना, और एक रास्ता, जिसे उसने अपने मन में ही समेट कर रखा था। उसे पता था, अगर उसने ज़रा भी अपने इरादे ज़ाहिर किए, तो