कूर्म अवतार

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स्वर्गलोक में इंद्र का राज था। उनकी सभा में सुख और वैभव की कोई कमी नहीं थी। एक दिन, जब इंद्र अपनी सभा में बैठे थे, वहां महर्षि दुर्वासा पधारे। दुर्वासा, अपने तप और तेज के लिए विख्यात थे, किंतु उनका स्वभाव क्रोधी और कठोर था। वह इंद्र को आशीर्वाद देने आए थे और अपने साथ एक दिव्य माला लाए, जो पुष्पों से सुशोभित थी और जिसकी सुगंध स्वर्गलोक को और भी रमणीय बना रही थी।दुर्वासा : "हे इंद्र, मैं तुम्हें यह दिव्य माला भेंट करता हूँ। यह माला मेरे तप का प्रतीक है। इसका सम्मान करना और इसे संभालकर