गाँव सोनपुर के किनारे बसा एक छोटा-सा कस्बा था—शांत, सुंदर और अपने में मग्न। यहाँ के लोग सीधे-साधे थे, मेहनती थे, और अक्सर दूसरों के मामलों में दखल देने से कतराते थे। इसी कस्बे में रहता था अजय—तीस वर्षीय, पढ़ा-लिखा युवक जो शहर में नौकरी करता था, लेकिन कोरोना काल में नौकरी छूट जाने के बाद गाँव लौट आया था। अजय का स्वभाव सहज था, परंतु वह हर बात में तर्क खोजता और दुनिया को स्याह-सफेद में बाँटने का आदी हो गया था।एक दिन गाँव में एक अजीब घटना हुई। पास के जंगल में रहने वाला बूढ़ा साधु, जिसे सब