गाँव में सब उसे "भोला" कहकर पुकारते थे। नाम भले ही भोला था, पर मन से वह बेहद समझदार और सुलझा हुआ था। न जाने कितनी बार लोग उसकी सलाह लेने आते और फिर जब वही बात कोई और कह देता तो वे मान भी जाते। लेकिन जब भोला कहता, तो लोग हँसते — "अरे इसका तो वक्त ही नहीं आया अभी!"भोला के जीवन में वक्त मानो थम गया था। उसके पिता की छोटी सी चाय की टपरी थी, जहाँ वह बचपन से काम में लगा था। पढ़ाई में तेज था, मगर हालात ने उसे स्कूल से बाहर कर दिया।