उनकी लाडली, उनका गुरूर

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  एक ८ साल की छोटी सी लड़की थी — गोल चेहरा, बड़ी बड़ी आँखों में चमक, बालों में माँ के हाथों का जोड़ा। हर वक्त घर के कोने कोने से उसकी हँसी गूंजती थी। उसके आने से घर में रंग था, ज़िंदगी थी। फिर उसके घर एक छोटा भाई आया। लोग कहते हैं कि नए बच्चे के आने से पुराने बच्चे को कम प्यार मिलता है — पर यहाँ ऐसा कुछ नहीं था। वो लड़की फिर भी सबकी लाडली थी। दादी की गोद उसका फ़ेवरेट जगह थी। दादाजी के हाथों से मिलती टोफ़ी अभी भी उसकी जेब में होती