राधे ..... प्रेम की अंगुठी दास्तां - 5

  • 1.2k
  • 369

राधा अपने कमरे में बुक पड़ रही थी पापा की आवाज से तुरंत खड़ी होकर बोली __बेटा नहीं हुं मैं, बेटी हुं आपकी।हां भाई मैंने कब मना किया है तुम तो मेरी लाडली बेटी हो।तो फिर आप मुझे बेटा -बेटा क्यों बुलाते हो । क्या बेटियां बेटों से कम होती है पापा?ऐसा कुछ नहीं है आओ मैं तुम्हें समझाता हूं वो क्या है ना मां-बाप अपने बच्चों को प्यार से बेटा ही कहते हैं क्योंकि अधिकतर लोगों को बेटा ज्यादा प्यारा होता है। और मुझे तुम ज्यादा प्यारी हो इसलिए मैं तुम्हें प्यार से बेटा कहता हूं। समझ गई! हां पापा