शांति का मार्गएक दिन गौतम बुद्ध अपने शिष्यों के मध्य शांति की चर्चा कर रहे थे। चर्चा करते हुए उन्होंने अपने शिष्यों को एक कथा सुनाई- एक व्यापारी था। उसने व्यापार में खूब कमाई की। बड़े-बड़े मकान टनवाए, नौकर-चाकर रखे, लेकिन दुर्भाग्य की बात है कि उसके दिन फिर गए। व्यापार में घाटा आया और वह एक-एक पैसे के लिए मोहताज हो गया। जब उसकी परेशानी असहनीय हो गई, तब वह एक साधु के पास गया और रोते हुए बोला, "महाराज, मुझे कोई मार्ग बताइए, जिससे मुझे शांति मिले।" साधु ने पूछा, "तुम्हारा सबकुछ चला गया?"