प्रयाण-पथिका

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  मकान के गेट पर कुंडी लगी है। कुंडी से मेरी पहचान पुरानी होने के कारण उसे खोलना मेरे लिए सुगम रहा। मकान की सीढ़ियां मैं एक साथ चढ़ ली हूं। दरवाज़ा अंदर से बंद है,मगर मैं अंदर दाखिल हो ली हूं। सीढ़ियों के ऐन बाद आंगन पड़ता है, जिस का दो तिहाई हिस्सा बीच में खुला है और एक तिहाई हिस्सा छतदार। दांए ढके हिस्से में रसोई है और बांए ढके हिस्से में गुसलखाना। आंगन के दोनों तरफ़ दो- दो कमरें हैं।आगे के कमरे सड़क की तरफ़ खुलते हैं और पीछे के गली की तरफ़। मेरा कमरा पीछे की