सर्द हवाएं दिल्ली की सड़कों पर गश्त लगा रही थीं। दिसंबर की उस अलसुबह शहर नींद में डूबा था, पर रेलवे कॉलोनी के एक छोटे से क्वार्टर में हलचल शुरू हो चुकी थी। सीमा, एक 28 वर्षीय महिला, अपने ढाई साल के बेटे आरव को दूध पिलाकर तैयार कर रही थी। उसकी आँखों में नींद नहीं, चिंता थी।पिछले महीने उसके पति रोहित की फैक्ट्री में एक दुर्घटना हो गई थी। झुलसने के कारण वह अस्पताल में भर्ती था और अब तक कोमा में था। पूरे घर का भार सीमा के कंधों पर आ चुका था। मेडिकल बिल, बेटे की जरूरतें,