स्वप्न का दरवाज़ा

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आरव मलिक एक उभरता हुआ लेखक था, लेकिन पिछले छह महीनों से एक ही सपना उसे बार-बार परेशान कर रहा था। हर रात वह एक अजीब सी जगह पर पहुंचता — एक धुंधला जंगल, जहाँ सब कुछ नीला था। पेड़, आकाश, यहाँ तक कि मिट्टी भी। उस जंगल में वह एक बच्चे को देखता — लगभग 10 साल का, घुंघराले बाल, खाली आँखें। बच्चा हर बार उसे कुछ कहने की कोशिश करता, लेकिन उसके होंठ हिलते हुए भी कोई आवाज़ नहीं निकलती।आरव हर बार चौंककर उठ बैठता, पसीने से भीगा हुआ।“कौन है वो बच्चा?” वह खुद से पूछता।समझ नहीं आता।एक