माँ और बेटा – एक अधूरी चिट्ठीगाँव की कच्ची गलियों में बसा एक पुराना सा मकान था, जिसके आँगन में नीम का पेड़ था और दीवारों पर वक़्त की धूल जमी हुई थी। उसी घर में रहती थी सरला, एक विधवा माँ, और उसका बेटा आदित्य।सरला ने पति को बहुत पहले खो दिया था। छोटी-सी उम्र में ही वो एक माँ और पिता दोनों बन गई। दिनभर दूसरों के घरों में काम कर, किसी तरह बेटे को पढ़ाया। वो चाहती थी कि आदित्य बड़ा आदमी बने — ऐसा इंसान जो दूसरों की मदद करे, उसका नाम रोशन करे।आदित्य भी अपनी