अनदेखा फरिश्ता

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शहर की भीड़-भाड़ से दूर, एक छोटा-सा कस्बा था—राजपुर। वहाँ लोगसाधारण जीवन जीते थे, लेकिन कुछ लोग अपने साधारण जीवन में असाधारण कर्म करकेदूसरों की ज़िंदगी बदल रहे थे। ऐसा ही एक व्यक्ति था—रामू काका।रामू काका कोई अमीर आदमी नहीं थे। उम्र करीब साठ के पार, बदन झुकाहुआ, माथे पर झुर्रियाँ, और कपड़े हमेशा साधारण। वे नगर पालिका में सफाई कर्मचारीथे। सुबह सबसे पहले उठते और गलियों की सफाई करके दिन की शुरुआत करते। ज़्यादातरलोग उन्हें बस एक सफाईकर्मी के तौर पर जानते थे, लेकिन किसी को यह नहीं पता था किवे एक "अनदेखा फरिश्ता" भी थे।रामू काका को एक