चंद्रवंशी - 1 - अंक – 1.1

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दूसरे दिन सुबह साढ़े छह बजे घड़ी का अलार्म बजा – "टीटी-टीट… टीटी-टीट… टीटी-टीट..." लगभग एक मिनट तक बजता रहा। जिससे जीद जाग गई। उसने माहि को भी उठा दिया। माहि अपनी आंखें मसलती हुई अपना चश्मा ढूंढ रही थी। उसका चश्मा सोफे के पीछे गिर गया था। माहि चश्मा लेकर पहनती ही है कि सामने की दीवार पर अपने अंकल की तस्वीरों को देखती है। उसने देखा कि अंकल जॉर्ज के बचपन की तस्वीर और अभी के स्वरूप में जमीन-आसमान का फर्क था। माहि के पापा हमेशा अपने भाई यानी अंकल की तारीफ किया करते थे। ये वही अंकल