एक ख़ामोश आवाज़

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  कक्षा आठवीं का वो साल… आठवीं कक्षा की वो दोपहर आज भी मेरी यादों में ,            जस - की - तस बसी हुई है। क्लासरूम की हल्की हलचल, पंखे की आवाज़ और इंग्लिश पीरियड की वो मिली-जुली क्लास । जब मुझे पहली बार एहसास हुआ कि कुछ लोग हमारी दुनिया में होते हुए भी जैसे किसी और ही लोक के वासी होते हैं। मैं अपनी सेक्शन ‘A’ में थी और वो लड़का — कमल — सेक्शन ‘C’ में। हमारे इंग्लिश पीरियड्स संयुक्त रूप से होते थे। यहीं पहली बार मेरी नज़र उस पर पड़ी।उस दिन कुछ अलग था।