त्रास खनन - 1

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"त्रास खनन" ऐसा लगता था जैसे वो अकेला ही नहीं बल्कि उसके साथ कमरे की दीवारें, पर्दे, खिड़कियां और छत भी थरथरा रहे हों। ये तो गनीमत थी कि वह घर में अकेला ही था वरना और जो भी इस समय उसके साथ यहां मौजूद होता वो अकारण ही उसके प्रति किसी शंका से भर जाता। इतने गुस्से में उसे पहले कभी न तो  किसी और ने देखा था और न खुद उसने ही अपने आप को। लगता था मानो अकस्मात कहीं कोई बिजली कड़क कर चुकी हो और उसका अंतर झुलसा गई हो। गला सूख रहा था जैसे प्यास का