महाकवि कालिदास

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एक प्रसिद्ध कथा है। महाकवि कालिदास को अपनी विद्वता पर बहुत अभिमान था। एक बार वे पैदल यात्रा कर रहे थे। रास्ते में उन्हें तीव्र प्यास लगी। उन्होंने देखा कि एक कुएँ पर एक स्त्री पानी भर रही थी। वहाँ पहुँचकर कालिदास बोले, "माता, मुझे पानी पिलाओ, तुम्हें पुण्य प्राप्त होगा।" स्त्री ने जवाब दिया, "भाई, मैं तुम्हें नहीं जानती। पहले अपना परिचय दो, फिर मैं अवश्य पानी पिलाऊँगी।" कालिदास ने कहा, "मैं एक यात्री हूँ, कृपया मुझे पानी पिला दो।" स्त्री बोली, "तुम यात्री कैसे हो? यात्री तो केवल दो ही हैं—सूर्य और चंद्र। वे कभी रुकते नहीं, हमेशा