मंजिले - भाग 28

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मंजिले सगरे की मर्मिक कहानी --- सत्य कथा पर आधारत हैं।     (बर्खास्त )"--वक़्त पूछे हो भाई जान --- रात होने वाली हैं... होंगे कल वाले ही आठ के करीब " अब्दुल की बाहरी रिश्ते की बहन जो हिंदू परिवार से थी ने घड़ी पर दो चपाटी मारी थी, खींझ कर। " इस क्वाड़ को फेक कयो नहीं देती!" अब्दुल जैसे खीज कर बोला।"अच्छा नयी ला दो। " नैना ने मशकरी की।बस वो उसे भैया जान जरूर बुलाती थी। यूँ ये कह लो, उम्र के मुताबिक ज़ब माँ बाप रिश्ता नाता नहीं देखते, तो फिर लड़की भी कया करे।हिन्दू परिवार मान प्रतिष्ठा