संदेश: “सच्चा बदलाव खून से नहीं, हिम्मत से आता है।”भाग 1: कोठे की कोख से जन्मा उजालालखनऊ के पुराने इलाके की तंग गलियों में एक कोठा था—जहाँ रंगीन बत्तियों के पीछे चीखों की अंधेरी गुफाएं थीं। वहीं एक लड़की 'सरला' ने एक बच्चे को जन्म दिया। नाम रखा — नीरव।उसका कोई पिता नहीं था। और मां? वो भी एक कैदी थी, अपनी ही मजबूरियों की। नीरव ने बचपन उस कोठे में गुजारा जहाँ प्यार की परिभाषा बिकती थी, और इंसानियत शर्म से सिर झुकाती थी।पांच साल की उम्र में नीरव ने पहली बार एक अधेड़ आदमी को अपनी मां पर