आज काव्या का पहला इंटरव्यू था । जिंदगी के पहले सपने की दस्तक । “काव्या, चलो,” उसके चचेरे भाई ने पुकारा। वह उसी स्कूल में शिक्षक था। उसके पीछे-पीछे, बिना कुछ बोले, काव्या उस अजनबी इमारत में दाख़िल हो गई — जैसे अनजानी ज़िंदगी की ओर पहला कदम।स्टाफ़रूम के बाहर कुछ महिला शिक्षिकाएँ बैठी थीं। “सर, ये कौन हैं?” एक ने पूछा। “मेरी बहन है,” भाई ने सहजता से जवाब दिया।काव्या ने हल्की मुस्कान के साथ सबका अभिवादन किया। पहली बार