डॉ सन्दीप अवस्थी अंधेरा इतना घना था कि कुछ मीटर दूर का भी नजर नहीं आ रहा था। ऊपर से नवंबर की सर्द रात थी। हाईवे का यह लंबा हिस्सा दो लेन ही था। आधी रात हो चुकी थी। अचानक से शाम को आभा की मम्मी के गंभीर हालात में अस्पताल में भर्ती होने की सूचना मिलते ही वह चलने को बेचैन हो उठी थी। निकलते - निकलते भी दस बज गए थे। गोरखपुर वाराणसी से काफी दूर था फिर भी सुबह तक वह पहुंच जाते। घर को लॉक कर वह दोनों और दसवीं में पढ़ रही बेटी को लेकर