बाजार ----20 19 धारावाहिक बम्बे किसी का सूर्य अस्त तो किसी का उदय हो कर डूबने तक का सफर कर चूका होता हैं। कितने मौसम देखे होंगे... उस सूरज ने... कड़कड़ाती धुप कभी बादलो का मंथन... ऐसे ही चलती रही घड़ी समय की बड़ी सुई....पतझड़ तो कभी बहार कभी दिमाग का सुन्न हो जाना... कभी हैरत मे पैर धरती पे न लगना तो कभी रात ऐसी भी होती थी... कि पूरी रात सोना ही न।ज़िन्दगी को अलविदा कह गया देव.... पीछे छोड़ गया एक खालीपन.. जुड़े लोगों का दिल से रोना... कैसी थी ज़िन्दगी उसकी। जिसको सब आसानी से मिल गया