दुःख में से द्वेष पैदा होता है ... और दुःख में से वैराग्य भी पैदा होता है। अग्निशर्मा के चित्त में वैराग्यभाव पैदा हो गया।'लोगों की ओर से मुझे घोर अवहेलना सहन करनी पड़ती है। असह्य संत्रास और नारकीय वेदना सहनी पड़ती है। कोई भी मुझे बचा नहीं पाता है। न मेरी माँ मेरी रक्षा कर पाती है ... न मेरे पिता मुझे सुरक्षा दे सकते हैं। कितनी विवशता है मेरी? मैं कितना अनाथ हूँ! कैसी मेरी बेबसी है? पूरे नगर में ऐसी कदर्थना केवल मुझे उठानी पड़ती है! मेरे अलावा और किसी की भी इतनी घोर अवहेलना नहीं होती