अंतिम बूँद: पृथ्वी का विलाप

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[अंतिम बूँद: पृथ्वी का विलाप]प्रेरणात्मक व भावनात्मक कथा — जल संरक्षण और जनसंख्या नियंत्रण पर आधारित)(कृपया नीचे पूरी कहानी पढ़ें)भूमिकावर्ष 2095… पृथ्वी अब वैसी नहीं रही जैसी सदियों पहले थी। न तो आसमान में बादलों की हलचल बची थी, न नदियों का कलकल बहाव, और न ही पेड़ों की वह हरियाली जो कभी धरती की शान हुआ करती थी। इंसानों की आबादी अब 68 अरब के पार जा चुकी थी। हर एक इंच जमीन पर मानो मनुष्य ने अपना डेरा जमा लिया था। पर इन सब के बीच कुछ चीज़ें पीछे छूट गई थीं — सबसे अहम, पानी।भाग 1 –