उजाले की ओर –संस्मरण

===========   प्रिय मित्रो स्नेहिल नमस्कार  आज एक मज़ेदार सी कहानी सामने आई और उसे आप सबको शेयर कर रही हूँ। पढ़कर आनंद लीजिए व सोचिए।    मैं ज़िंदा हूँ =======   एक पार्टी में जहाँ कई मशहूर हस्तियाँ मौजूद थीं, एक बुज़ुर्ग सज्जन मंच पर छड़ी के सहारे आए और अपनी सीट पर बैठ गए।   होस्ट ने पूछा, “क्या आप अब भी डॉक्टर के पास अक्सर जाते हैं?”   बुज़ुर्ग बोले, “हाँ, मैं तो अक्सर जाता हूँ!”   होस्ट ने पूछा, “क्यों?”   बुज़ुर्ग मुस्कराकर बोले, “मरीज़ों को तो डॉक्टर के पास जाना चाहिए, तभी तो डॉक्टर ज़िंदा