गौतम बुद्ध की प्रेरक कहानियां - भाग 6

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साधना की ओरराजकुमार भ्रमण करते हुए मगध की राजधानी राजगृह के निकट पहुँचे। राजगृह के निकट पहाड़ की अनेक कंदराएँ थीं। सिद्धार्थ ने इन्हीं कंदराओं को अपना बसेरा बनाया। इन कंदराओं में एक मर्मज्ञ आचार्य आलाड़ साधनारत रहते थे। सिद्धार्थ ने आचार्य आलाड़ से ही साधना के गूढ़ रहस्य प्राप्त किए और उनके निर्देश पर ही तपश्चर्या में जुट गए। यहाँ पर उन्होंने कठोरतापूर्वक नियम-संयम का पालन करते हुए तपश्चर्या आरंभ कर दी। वे साधना में इतना रत हो जाते थे कि उन्हें अपने तन-मन की भी कोई सुध-बुध न रहती थी। इस कठोर साधन साधना से उनका बलिष्ठ शरीर