लेखक ने इस अध्याय में कहा है कि हमारे आधुनिक समय के जो शिक्षक हैं वे शिक्षा के प्रति प्रमुख व्यक्ति नहीं हैं और ना ही कोई विशेष है कि वे एक शिक्षक अच्छे वाले व्यक्तित्व वाले हैं। आज के आधुनिक समाज के शिक्षक के अनुसार बच्चों और विद्यार्थियों को ज्ञान देना एक शिक्षक का उद्देश्य सही नहीं है। इसलिए प्रत्येक एवं अच्छे उच्च अर्थात् आदर्श शिक्षक एवं शिक्षक का यही कर्तव्य है कि वह ना तो धन संचय करने के उद्देश्य से बच्चों को ज्ञान दे और ना ही आधा ज्ञान प्राप्त कर स्वयं को गुरु या शिक्षक समझ