चेहरा - 2

आरव इस साल इंजीनियरिंग कॉलेज के सेकंड ईयर में था। पुणे के एक छोटे से मोहल्ले में, किराए के कमरे में वह अकेला रहता था। कमरा छोटा था, लेकिन उसकी दुनिया उसमें सिमटी हुई थी। उसकी दीवारों पर अलग-अलग जर्नल्स, केस फाइलें, और कुछ किताबें बिखरी पड़ी रहती थीं। वह एक ऐसा लड़का था, जो दिन-रात पुरानी जघन्य घटनाओं और अनसुलझे मामलों को पढ़ता रहता था। उसका सपना था एक दिन वो भी उस पत्रकारिता के संसार का हिस्सा बने, जहां वो उन रहस्यों को सुलझा सके, जिनका जवाब आज तक नहीं मिल पाया था।हर तरफ छोटे-छोटे कागज चिपके थे।