अध्याय 1: मिट्टी के घर में पलता सपना कच्चे रास्ते पर धूल उड़ती थी, और उसी रास्ते के किनारे एक टूटा-फूटा, मिट्टी का छोटा सा घर खड़ा था। बारिश में छत टपकती थी और गर्मी में दीवारें तपती थीं, लेकिन उसी घर में एक सपना पल रहा था — एक माँ का सपना, जो अपनी बेटी जानवी को पढ़ा-लिखा कर बड़ा इंसान बनाना चाहती थी।जानवी की माँ, शांति देवी, सुबह अंधेरे में उठ जाती थीं। दूसरों के घरों में झाड़ू-पोंछा, बर्तन मांजना, और खेतों में मजदूरी करना — यही उनका रोज़ का जीवन था। थक कर चूर हो जातीं, पर चेहरे