"जीवन एक नदी की तरह है, अगर इसे बाँध दिया जाए तो यह सड़ जाती है।" राजेश की डायरी में लिखी यह पंक्तियाँ उसकी ज़िंदगी का सार बन गई थीं। सुबह का वक्त था, अभी पाँच बजे थे। दिल्ली की सर्द हवाएँ खिड़की से आकर उसके चेहरे को छू रही थीं। वह चाहता था कि थोड़ी देर और सो ले, लेकिन उसकी आंतरिक घड़ी ने उसे जगा दिया था।बगल में मीरा गहरी नींद में थी। कल रात को वह देर तक बच्चों की परीक्षा की तैयारीकरवाती रही थी। राजेश ने धीरे से उठकर अपनी दिनचर्या शुरू कर दी। जॉगिंग के