हालात का सहारा

  • 1k
  • 330

भूमिका कहते हैं कि इंसान अपनी किस्मत खुद बनाता है, लेकिन अगर हालात साथ न दें तो? तब आदमी या तो हालात का सहारा लेकर ऊँचाइयाँ छूता है, या फिर उन्हीं हालात के बहाने बनाकर अपने फिसलने का ज़िम्मेदार दूसरों को ठहराता है। यह कहानी ऐसे ही एक आदमी की है—रघुनाथ प्रसाद उर्फ़ 'रघु बाबू', जो हालात के सहारे अपने जीवन की ऊँचाइयों और गिरावटों के बीच झूलते रहते हैं। अध्याय 1: नौकरी और नाकामी रघुनाथ प्रसाद, एक सरकारी कार्यालय में बाबू थे। उनकी सबसे बड़ी विशेषता थी—काम को टालने की अद्भुत कला। दफ़्तर में हमेशा कोई न कोई बहाना