58 आतंकवादी एक आवाज़ बेसुध पड़े अश्विन के कानों में पड़ रही है, “सर, सर उठ जाए, ” सर,” अब अश्विन ने धीरे-धीरे आँखें खोली तो देखा कि उसके आसपास ट्रैफिक रुका हुआ हैI चारों तरफ भीड़ है, सभी लोग शोर कर रहें हैं, कुछ लोग तो उसे “बेवड़ा, शराबी और कई तरह की उपमाओं से नवाज़ रहें हैंI” अब उसने यश के हाथ का सहारा लेकर ख़ुद को खड़ा किया और फिर वह लडख़ड़ाता हुआ अपनी गाड़ी की तरफ बढ़ने लगाI यश ने उसे पकड़ने की कोशिश की तो उसने मना कर दिया तो यश बोला, “सर मैं