राधे ..... प्रेम की अंगुठी दास्तां - 2

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इंतजार तो लाली कर रही थी पर राधा उससे भी ज्यादा बैचैन लग थी।कमरे में आते ही बोली _क्या कह रही थी लाली तुम,मुझे प्यार हो गया है देव से नहीं लाली ऐसी बात नहीं है वो तो देव नहीं आता तो मुझे अच्छा नहीं लगता बस!और वैसे तुम नहीं आती तो भी मुझे अच्छा नहीं लगता। मैं तुमसे भी तो लड़ती हूं ‌।मुझमें और देव में बहुत फर्क है राधा।तुम समझती क्यों नहीं?मैं एक लड़की हु और देव लड़का ।तो क्या हुआ क्या लड़का दोस्त नहीं होता ?उसकी बातों में अब भी बचपन झलक रहा था।ऐसी बात नहीं है राधा पर